जलालपुर : किसान परंपरागत खेती-किसानी के साथ ही तकनीक और नए तौर तरीकों से न सिर्फ अपनी आय बढ़ाने में कामयाब हो रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। सिराथू के हाजीपुर के प्रगतिशील किसान विनोद वर्मा हैं, जो प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।गन्ना मिल की पर्ची और भाड़ा मिलाकर आमदनी कम होने के आंकड़े से ऊब चुके किसान अब सिरका तैयार करते हैं। उनका सिरका प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई होता है, जल्द ही यह देश के अन्य प्रदेशों तक भी पहुंचेगा।।
पांच बीघा में गन्ने की खेती
वह पहले चार से पांच बीघा में गन्ने की खेती करते थे। गन्ना फसल बेचकर जो मिलता उससे मजदूरी देने के बाद बचत कुछ खास नहीं होती थी। समय के साथ खेती की लागत भले बढ़ती गई, लेकिन आय में उस लिहाज से बढ़ोत्तरी नहीं हुई। फिर उन्होंने अपने खेतों में उगाया गन्ना बेचने के बजाए उसका सिरका बनाकर फेरी वालों के जरिए बेचना शुरू कराया। उनका यह कारोबार बढ़ा और अब गन्ने की ही खेती से आय पहले से कहीं अधिक होने लगी। बताते हैं कि तीन वर्ष पहले इसकी शुरुआत की थी। मिट्टी के घड़े में गन्ने के रस को करीब तीन महीने तक रखते हैं। इसके बाद इससे सिरका तैयार कर बड़े-बड़े जार में सुरक्षित कर लेते हैं।
50 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष
तैयार गन्ने का सिरका फेरी वालों को 40 से 50 रुपये लीटर बेचते हैं। बताया कि लगभगपांच बीघा करने में एक हजार क्विंटल गन्ना पैदा हो जाता है, इससे लगभग 53 हजार 300 लीटर सिरका तैयार करते हैं। सिरके से कटहल, लहसुन, मिर्चा, आम आदि विभिन्न फलों से अचार तैयार किया जाता है। इस कार्य में लगभग 50 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है।
यही नहीं बड़े पैमाने पर उत्पाद शुरू होने के बाद क्वाइल्ड गंवई स्वाद के नाम से दुकानदार, अमेजन आदि माध्यमों से सिरके का स्वाद लोगों को खूब भा रहा है।